ताश पति खेल कर टाइम पास होता, ब्लॉग कब लिखे? ख़त भेजा था लेकिन पत्र नही मिला. अच्छा अच्छा बाते लिख नही सकते, ख़त अच्छी नही लगी. मेरे दिल की बात दुस्रोको अच्छा नही लगता, दिल के बात दिल में रखे, ओउर कुछ लिख देते फिर वि आच्छी नही लगती, मे ओभी क्या कोरु .
सोच सोच के नही मिला अखबर में किउ ख़रीद लेते. इंटरनेट में सब कुछ मिलही जाते . नशा मालूम होता !
रास्त्रपति जी से ओनुरोध भेजने को सोच रहा हूँ की संसद सदोस्य से एक एक रुपया जुरमाना करे संसद नही चलाने का.
सोच सोच के नही मिला अखबर में किउ ख़रीद लेते. इंटरनेट में सब कुछ मिलही जाते . नशा मालूम होता !
रास्त्रपति जी से ओनुरोध भेजने को सोच रहा हूँ की संसद सदोस्य से एक एक रुपया जुरमाना करे संसद नही चलाने का.
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